000 | 02689 a2200157 4500 | ||
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020 | _a9789384456771 | ||
082 |
_a891.433 _bP886T |
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100 |
_aPrasad, Jaishankar _944066 |
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100 |
_aप्रसाद, जयशंकर _944067 |
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245 |
_aतितली | Titli (Hindi) _c by Jaishankar Prasad |
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260 |
_bSakshi Prakashan _c2019 _aDelhi |
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300 |
_a175p. _bPB |
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500 | _aजयशंकर प्रसाद का उपन्यास, जो 1934 ई. में प्रकाशित हुआ। 'तितली', ग्राम्यजीवन से सम्बद्ध उपन्यास है, यद्यपि कथानक के आगे बढ़ने पर उसमें कलकत्ता आदि महानगरों के छाया संकेत भी मिल जाते हैं। 'तितली' में प्रमुख रूप से ग्राम्य जीवन के चित्र और समस्याओं का समावेश किया गया है। भारतीय ग्रामों में आज भी संस्कृति के मूल तत्त्व विद्यमान हैं, यद्यपि वातावरण पर्याप्त विकृत और दूषित हो गया है। एक ओर इन्द्रदेव को लेकर और महुआ ग्रामीण जीवन का प्रकाशन करते हैं। भूमिहीन किसानों में क्रांति-विद्रोह का जो भाव है, वह मधुबन में स्पष्ट है। ग्राम्य-जीवन के उद्धार का प्रयत्न इन्द्रदेव और शैला करते हैं। बैंक, अस्पताल, ग्रामसुधार आदि की योजनाएँ उन्हीं के द्वारा कर्यांवित होती हैं। मिटती हुई सामंतवादी प्रथा की सूचना 'तितली' में मिलती है।'तितली' में प्रमुख रूप से ग्राम्य जीवन के चित्र और समस्याओं का समावेश किया गया है। भारतीय ग्रामों में आज भी संस्कृति के मूल तत्त्व विद्यमान हैं, | ||
650 |
_aHindi Literature _aHindi fiction _944068 |
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942 | _cHBK | ||
999 |
_c16367 _d16367 |