000 | 01713 a2200181 4500 | ||
---|---|---|---|
020 | _a9789390973064 | ||
041 | _aHindi | ||
082 |
_a891.433 _bP925G |
||
100 |
_aप्रेमचंद _926811 |
||
100 |
_aPremchand _926812 |
||
245 |
_aगोदान (Hindi) | Godan (Hindi) _cby Premchand |
||
260 |
_aDelhi: _bAnugya Books, _c2023 |
||
300 | _a272p. | ||
520 | _aमुंशी प्रेमचंद ने जो कुछ भी लिखा है, वह आम आदमी की व्यथा कथा है, चाहे वह ग्रामीण हो या शहरी। गांवों की अव्यवस्था, किसान की तड़प, ग्रामीण समाज की विसंगतियां, अंधविश्वास, उत्पीड़न और पीड़ा की सच्ची तस्वीर प्रस्तुत करता है - गोदान। मुंशी प्रेमचंद की चिर-परिचित शैली का जीता-जागता उदाहरण है गोदान, जो जमीन से जुड़ी हकीकतों को बेनकाब करता है। विश्व की सर्वाधिक भाषाओं में अनुवाद होकर बिकने का गौरव केवल गोदान को ही प्राप्त है। ‘गोदान’ का सर्वाधिक प्रमाणिक संस्करण एक संपूर्ण उपन्यास। | ||
650 |
_aLiterature _926813 |
||
650 |
_aLiterature - Hindi _926814 |
||
942 | _cHBK | ||
999 |
_c14811 _d14811 |