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अर्थला संग्राम सिन्धु गाथा भाग -१ | Arthla Sangram Sindhu Gatha - Part 1(Hindi) by Vivek Kumar

By: Publication details: Hind Yugm 2016 Noida, IndiaDescription: 446p. PBISBN:
  • 9789384419905
Subject(s): DDC classification:
  • 891.433 K960A
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मिट्टी से घड़े बनाने वाले मनुष्य ने हजारों वर्षों में अपना भौतिक ज्ञान बढ़ाकर उसी मिट्टी से यूरेनियम छानना भले ही सीख लिया हो, परंतु उसके मानसिक विकास की अवस्था आज भी आदिकालीन है।काल कोई भी रहा हो– त्रेता, द्वापर या कलियुग, मनुष्य के सगुण और दुर्गुण युगों से उसके व्यवहार को संचालित करते रहे हैं।यह गाथा किसी एक विशिष्ट नायक की नहीं, अपितु सभ्यता, संस्कृति, समाज, देश-काल, निर्माण तथा प्रलय को समेटे हुए एक संपूर्ण युग की है। वह युग, जिसमें देव, दानव, असुर एवं दैत्य जातियाँ अपने वर्चस्व पर थीं। यह वह युग था, जब देवास्त्रों और ब्रह्मास्त्रों की धमक से धरती कंपित हुआ करती थी।शक्ति प्रदर्शन, भोग के उपकरणों को बढ़ाने, नए संसाधनों पर अधिकार तथा सर्वोच्च बनने की होड़ ने देवों, असुरों तथा अन्य जातियों के मध्य ऐसे आर्थिक संघर्ष को जन्म दिया, जिसने संपूर्ण जंबूद्वीप को कई बार देवासुर-संग्राम की ओर ढकेला। परंतु इस बार संग्राम-सिंधु की बारी थी। वह अति विनाशकारी महासंग्राम जो दस देवासुर-संग्रामों से भी अधिक विध्वंसक था। संग्राम-सिंधु गाथा का यह खंड देव, दानव, असुर तथा अन्य जातियों के इतिहास के साथ देवों की अलौकिक देवशक्ति के मूल आधार को उदघाटित करेगा।

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