मौन मुस्कान की मार | Maun muskaan ki maar (Hindi) (Record no. 16349)
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000 -LEADER | |
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fixed length control field | 04166 a2200169 4500 |
020 ## - INTERNATIONAL STANDARD BOOK NUMBER | |
ISBN | 9789352669820 |
082 ## - DEWEY DECIMAL CLASSIFICATION NUMBER | |
Classification number | 891.430 92 |
Item number | K972M |
100 ## - MAIN ENTRY--AUTHOR NAME | |
Personal name | Rana, Aashutosh |
Personal name | राना, आशुतोष |
245 ## - TITLE STATEMENT | |
Title | मौन मुस्कान की मार | Maun muskaan ki maar (Hindi) |
Statement of responsibility, etc | by Aashutosh Rana |
260 ## - PUBLICATION, DISTRIBUTION, ETC. (IMPRINT) | |
Name of publisher | Prabhat Prakashan Pvt. Ltd. |
Year of publication | 2023 |
Place of publication | New Delhi |
300 ## - PHYSICAL DESCRIPTION | |
Number of Pages | 200p. |
Other physical details | PB |
500 ## - GENERAL NOTE | |
General note | मैंने और अधिक उत्साह से बोलना शुरू किया, ‘‘भाईसाहब, मैं या मेरे जैसे इस क्षेत्र के पच्चीस-तीस हजार लोग लामचंद से प्रेम करते हैं, उनकी लालबत्ती से नहीं।’’ मेरी बात सुनकर उनके चेहरे पर एक विवशता भरी मुसकराहट आई, वे बहुत धीमे स्वर में बोले, ‘‘प्लेलना (प्रेरणा) की समाप्ति ही प्लतालना (प्रतारणा) है।’’ मैं आश्चर्यचकित था, लामचंद पुनः ‘र’ को ‘ल’ बोलने लगे थे। इस अप्रत्याशित परिवर्तन को देखकर मैं दंग रह गया। वे अब बूढ़े भी दिखने लगे थे। बोले, ‘‘इनसान की इच्छा पूलती (पूर्ति) होना ही स्वल्ग (स्वर्ग) है, औल उसकी इच्छा का पूला (पूरा) न होना नलक (नरक)। स्वल्ग-नल्क मलने (मरने) के बाद नहीं, जीते जी ही मिलता है।’’ मैंने पूछा, ‘‘फिर देशभक्ति क्या है?’’ अरे भैया! जरा सोशल मीडिया पर आएँ, लाइक-डिस्लाइक (like-dislike) ठोकें, समर्थन, विरोध करें, थोड़ा गालीगुप्तार करें, आंदोलन का हिस्सा बनें, अपने राष्ट्रप्रेम का सबूत दें। तब देशभक्त कहलाएँगे। बदलाव कोई ठेले पर बिकनेवाली मूँगफली नहीं है कि अठन्नी दी और उठा लिया; बदलाव के लिए ऐसी-तैसी करनी पड़ती है और की पड़ती है। वरना कोई मतलब नहीं है आपके इस स्मार्ट फोन का। और भाईसाहब, हम आपको बाहर निकलकर मोरचा निकालने के लिए नहीं कह रहे हैं; वहाँ खतरा है, आप पिट भी सकते हैं। यह काम आप घर बैठे ही कर सकते हैं, अभी हम लोगों ने इतनी बड़ी रैली निकाली कि तंत्र की नींव हिल गई, लाखों-लाख लोग थे, हाईकमान को बयान देना पड़ा। मैंने कहा कि यह सब कहाँ हुआ, बोले कि सोशल मीडिया पर इतनी बड़ी ‘थू-थू रैली’ थी कि उनको बदलना पड़ा। प्रसिद्ध सिनेअभिनेता आशुतोष राणा के प्रथम व्यंग्य-संग्रह ‘मौन मुस्कान की मार’ के अंश। |
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM | |
Topical Term | Hindi Literature |
Topical Term | Literature |
942 ## - ADDED ENTRY ELEMENTS (KOHA) | |
Koha item type | Hindi Books |
Withdrawn status | Lost status | Damaged status | Not for loan | Collection code | Permanent Location | Current Location | Shelving location | Date acquired | Source of acquisition | Cost, normal purchase price | Full call number | Accession Number | Cost, replacement price | Price effective from | Koha item type |
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General Section | S. R. Ranganathan Learning Hub | S. R. Ranganathan Learning Hub | General Section | 2024-04-08 | Rajasthani Granthagar | 225.00 | 891.430 92 K972M | 12919 | 300.00 | 2024-04-08 | Hindi Books |